
कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को नया सीएम बनाकर कांग्रेस ने भले ही पंजाब इकाई में जारी रार को थामने की कोशिश की है लेकिन पार्टी को इस आंतरिक कलह का खामियाजा राजस्थान में भी भुगतना पड़ सकता है। कांग्रेस पार्टी की अकेले दम पर सिर्फ तीन राज्यों में सरकार है और हर जगह कांग्रेस में अंदरूनी कलह अब किसी से छिपी नहीं है।
कैप्टन आउट, अब गहलोत की बारी? पंजाब के फेरबदल से राजस्थान में बढ़ी सियासी सरगर्मीपायलट के एक करीबी नेता ने हमारे सहयोगी हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, 'हमें जल्द ही अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है।' उन्होंने यह भी बताया कि पायलट की राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई आला नेताओं से पहले ही मुलाकात हो गई है और उन्हें यकीन है कि आने वाले कुछ हफ्तों पार्टी कोई बड़ा फैसला लेगी।
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में स्थिति पंजाब से अलग है क्योंकि गहलोत की अभी भी पार्टी पर पकड़ है, जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनी ही पार्टी के लोग सीएम पद पर नहीं देखना चाहते थे। वहीं, पंजाब में मार्च 2022 में ही विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि राजस्थान विधानसभा चुनावों में अभी दो साल से ज्यादा का वक्त बाकी है।
पॉलिटिकल एनालिस्ट मनीष गोढा राजस्थान में पंजाब जैसा हाल होने की आशंका खारिज करते हुए कहते हैं, 'गहलोत गांधी परिवार के काफी करीब हैं।' हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि पार्टी नेतृत्व को नेताओं की नाराजगी दूर करने का तरीका खोजना पड़ेगा क्योंकि समय तेजी से हाथ से निकल रहा है।
वहीं, एक अन्य कांग्रेस नेता ने बताया कि पंजाब के बाद राहुल गांधी का अगला फोकस राजस्थान और छत्तीसगढ़ ही होंगे, जहां भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी घमासान जारी है। उन्होंने कहा कि पायलट ने बीते शुक्रवार ही राहुल गांधी से मुलाकात की थी और दोनों के बीच लंबी चर्चा भी हुई, जिसके बाद से ही राजस्थान में कैबिनेट फेरबदल की अटकलों को हवा मिली। हालांकि, पायलट ने इस मामले से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया।
पायलट के करीबी एक अन्य विधायक ने हमारे सहयोगी एचटी से कहा, 'पार्टी नेतृत्व ने जो पंजाब में किया उससे हमारा मनोबल भी बढ़ा है किय यहां भी बदलाव होंगे। ये बदलाव 2024 लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर होंगे।'
हालांकि, गहलोत के करीबियों का कहना है कि अमरिंदर और राजस्थान सीएम में सबसे बड़ा फर्क यही है कि कैप्टन मुख्यमंत्री पद के लिए हाईकमान की पसंद नहीं थे, जबकि गहलोत को दिल्ली ने ही सीएम घोषित किया था। इसके अलावा गहलोत के समर्थन में 100 से ज्यादा विधायक हैं।